रूप, रंग, छाया इस धरती की काया है वो! रूप, रंग, छाया इस धरती की काया है वो!
सुबह आई नहीं अब तलक चांद की कश्ती, तूफानों में उलझी हुई लगती है। सुबह आई नहीं अब तलक चांद की कश्ती, तूफानों में उलझी हुई लगती है।
मेरा मेहबूब चाँद मुझे खूब सताता है, रात भर बादलों में छुपता छुपाता है। मेरा मेहबूब चाँद मुझे खूब सताता है, रात भर बादलों में छुपता छुपाता है।
ख्यालों ख्यालों में ही उसको इक ख्याल आया होगा मोम की तरह खुद को उसने पिघलाया होगा। ख्यालों ख्यालों में ही उसको इक ख्याल आया होगा मोम की तरह खुद को उसने पिघलाया ...
आसमानी रंगत उतर आयी थी, मेरे अक्स में भी. आसमानी रंगत उतर आयी थी, मेरे अक्स में भी.
विरह वेदना में पिघल गया चांद, होगया अंबर में लुप्त ! विरह वेदना में पिघल गया चांद, होगया अंबर में लुप्त !